Hanuman Chalisa – श्री हनुमान चालीसा – Lyrics in Hindi – Free PDF Download in 2023

Hanuman Chalisa

॥ श्री हनुमान चालीसा ॥

दोहा

श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।

बरनऊँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार ।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा | अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंडल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै॥

संकर सुवन केसरीनंदन । तेज प्रताप महा जग बंदन ॥

विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा । बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥

भीम रूप धरि असुर सँहारे । रामचंद्र के काज सँवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं । अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे । होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रच्छक काहू को डरना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥

 भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

 संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै

सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै ॥

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता ॥

 राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै।

 अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥

और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्ब सुख करई ॥

 संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जै जै जै हनुमान गोसांई । कृपा करहु गुरु देव की नांई ॥

 जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़े हनुमान चलीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

 तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥

दोहा

पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप॥

॥ सियावर रामचन्द्र की जय ॥

॥ पवनसुत हनुमान की जय ॥

॥ उमापति महादेव की जय ॥

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