श्री दुर्गा चालीसा – Shri Durga Chalisa – Free Download in Hindi –

Durga Chalisa

Durga Chalisa

श्री दुर्गा चालीसा

नमो नमो दुर्गे सुख करनी  |  नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ||

निरंकार है ज्योति तुम्हारी  |  तिहुँ लोक फ़ैली उजियारी ||

शशी ललाट मुख महा विशाला  |  नेत्र लाल भृकुटी विकराला ||

रुप मातु को अधिक सुहावे  |  दरश करत जन अति सुख पावे ||

तुम संसार शक्ति लय कीना  |  पालन हेतु अन्न धन धन दीना ||

अन्न्पूर्णा हुई जग पाला  |  तुम ही आदि सुन्दरी बाला ||

प्रलयकाल सब नाशन हारी  |  तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ||

शिव योगी तुम्हारे गुण गावे  |  ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ||

रुप सरस्वती का तुम धारा  |  दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ||

धरा रुप नरसिंह को अम्बा  |  प्रकट भई फ़ाड़ कर खम्बा ||

रक्षा कर प्रहलाद बचायो  |  हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ||

लक्ष्मी रुप धरो जग माहीं  |  श्री नारायण अंग समाहीं ||

क्षीरसिन्धु में करत विलासा  |  दया सिन्धु दीजै मन आसा ||

हिंगलाज में तुम्ही भवानी  |  महिमा अमित न जात बखानी ||

मातंगी धूमावती माता  |  भूवनेश्वरी बगला सुखदाता ||

श्री भैरव तारा जग तारणि  |  छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी ||

केहरि वाहन सोहे भवानी  |  लांगुर बीर चलत अगवानी ||

कर में खप्पर खड़ग विराजै  |  जाको देख काल डर भाजै ||

सोहे अस्त्र और त्रिशूला  |  जाते उठत शत्रु हिय शूला ||

नगर कोटि में तुम्ही विराजत  |  तिहुँ लोक में डंका बाजत ||

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे  |  रक्त बीज शंखन संहारे ||

महिशासुर नृप अति अभिमानी  |  जेही अध भार मही अकुलानी ||

रुप कराल कालिका धारा  |  सेन सहित तुम तिहि संहारा ||

परी गाढ़ संतन पर जब जब  |  भई सहाय मातु तुम तब तब ||

अमर पुरी अरु बासव लोका  |  तव महिमा सब कहे अशोका ||

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी  |  तुम्हें सदा पूजें नर नारी ||

प्रेम भक्ति से जो यश गावें  |  दुःख दरिद्र निकट नही आवे ||

जोगी सुर नर कहत पुकारी  |  योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ||

शंकर आचारज तप कीनो  |  काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ||

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को  |  काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ||

 शक्ति रुप को मरम न पायो  |  शक्ति गई तब मन पछतायो ||

 शरणागत हुई कीर्ति बखानी  |  जय जय जय जगदम्ब भवानी ||

 भई प्रसन्न आदि जगदम्बा  |  दई शक्ति नहिं कीन बिलम्बा ||

मोको को मात कश्ट अति घेरो  |  तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ||

आशा तृणा निपट सतावे  |  रिपु मूरख मोहि अति डर पावै ||

शत्रु नाश कीजै महारानी  |  सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ||

करो ‘कृपा हे मातु दयाला  |  ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ||

जब लगि जियो दया फ़ल पाऊं  |  तुम्हरे यश में सदा सुनाऊं ||

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै  |  सब सुख भोग परम पद पावै ||

देवीदास शरण निज जानी  |  करहु कृपा जगदम्ब भवानी ||